चेचक मानव में पाया जाने वाला एक प्रमुख रोग है। इस रोग से अधिकांशत: छोटे बच्चे ग्रसित होते हैं। यह रोग जब किसी व्यक्ति को होता है, तब इसे ठीक होने में 10 से 15 दिन लग जाते हैं। किंतु रोग के कारण चेहरे आदि पर जो दाग़ पड़ जाते हैं, उन्हें ठीक होने में लगभग पाँच या छ: महीने का समय लग जाता है। यह रोग अधिकतर बसन्त ऋतु या फिर ग्रीष्म काल में होता है। यदि इस रोग का उपचार जल्दी ही न किया जाए तो रोग से पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।
चेचक रोग के लक्षण
इस रोग के हो जाने पर शरीर का तापमान बढ़ जाता है। बुखार 104 डिग्री फारेनहाइट तक हो जाता है। रोगी को बेचैनी होने लगती है। उसे बहुत ज़्यादा प्यास लगती है और पूरे शरीर में दर्द होने लगता है। हृदय की धड़कन तेज हो जाती है और साथ में जुकाम भी हो जाता है। दो-तीन दिन के बाद बुखार तेज होने लगता है। शरीर पर लाल रंग के दाने निकलने लगते हैं। दानों में पानी जैसा मवाद पैदा हो जाता है। सात दिनों में दाने पकने लगते हैं जो कि धीरे-धीरे सूख जाते हैं। दानों पर खुरण्ड (पपड़ी) सी जम जाती है। कुछ दिनों के बाद खुरण्ड तो निकल जाती है, लेकिन उसके दाग़ रह जाते हैं।
इस रोग के हो जाने पर शरीर का तापमान बढ़ जाता है। बुखार 104 डिग्री फारेनहाइट तक हो जाता है। रोगी को बेचैनी होने लगती है। उसे बहुत ज़्यादा प्यास लगती है और पूरे शरीर में दर्द होने लगता है। हृदय की धड़कन तेज हो जाती है और साथ में जुकाम भी हो जाता है। दो-तीन दिन के बाद बुखार तेज होने लगता है। शरीर पर लाल रंग के दाने निकलने लगते हैं। दानों में पानी जैसा मवाद पैदा हो जाता है। सात दिनों में दाने पकने लगते हैं जो कि धीरे-धीरे सूख जाते हैं। दानों पर खुरण्ड (पपड़ी) सी जम जाती है। कुछ दिनों के बाद खुरण्ड तो निकल जाती है, लेकिन उसके दाग़ रह जाते हैं।
कारण
चेचक के रोग को घरेलू भाषा में 'माता' या 'शीतला' भी कहते हैं। यह रोग अक्सर उन बच्चों को होता है, जिनके शरीर में शुरू से ही गर्मी अधिक होती है तथा उनकी उम्र दो से चार वर्ष तक की होती है। कभी-कभी यह रोग औरतों और बड़ों में भी हो जाता है। इस रोग के फैलने का कारण वायरस (जीवाणु) हैं। इस रोग के जीवाणु थूक, मलमूत्र और नाखूनों आदि में पाये जाते हैं। सूक्ष्म छोटे-छोटे जीवाणु हवा में घुल जाते हैं और श्वसन के समय ये जीवाणु शरीर के अन्दर प्रवेश कर जाते हैं। इस रोग को आयुर्वेद में 'मसूरिका' के नाम से जाना जाता है।
चेचक के रोग को घरेलू भाषा में 'माता' या 'शीतला' भी कहते हैं। यह रोग अक्सर उन बच्चों को होता है, जिनके शरीर में शुरू से ही गर्मी अधिक होती है तथा उनकी उम्र दो से चार वर्ष तक की होती है। कभी-कभी यह रोग औरतों और बड़ों में भी हो जाता है। इस रोग के फैलने का कारण वायरस (जीवाणु) हैं। इस रोग के जीवाणु थूक, मलमूत्र और नाखूनों आदि में पाये जाते हैं। सूक्ष्म छोटे-छोटे जीवाणु हवा में घुल जाते हैं और श्वसन के समय ये जीवाणु शरीर के अन्दर प्रवेश कर जाते हैं। इस रोग को आयुर्वेद में 'मसूरिका' के नाम से जाना जाता है।
सावधानियाँ
चेचक के रोग से ग्रस्त रोगी के घर वालों को खाना बनाते समय सब्जी आदि में छोंका नहीं लगाना चाहिए।
दरवाज़े पर और रोगी के बिस्तर के चारो और नीम के पत्तों की टहनी लटका देनी चाहिए।
ध्यान रखें कि बच्चा शरीर पर आए छालों या फोड़े को खरोंचे नहीं, वरना ये व फैल सकते है व दर्द भी हो सकता है। बच्चे के नाखून छोटे रखें व फोड़ों को ढंके नहीं।
रोगी के चारो तरफ साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखे।
रोगी को जब भी नहलाये, उस पानी में नीम की पत्तियों को उबाले।
आयुर्वेद में चेचक में नीम से ज़्यादा किसी पर भी भरोसा नहीं किया जाता।
बच्चे को अन्य लोगों से दूर रखें।
चेचक के रोग से ग्रस्त रोगी के घर वालों को खाना बनाते समय सब्जी आदि में छोंका नहीं लगाना चाहिए।
दरवाज़े पर और रोगी के बिस्तर के चारो और नीम के पत्तों की टहनी लटका देनी चाहिए।
ध्यान रखें कि बच्चा शरीर पर आए छालों या फोड़े को खरोंचे नहीं, वरना ये व फैल सकते है व दर्द भी हो सकता है। बच्चे के नाखून छोटे रखें व फोड़ों को ढंके नहीं।
रोगी के चारो तरफ साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखे।
रोगी को जब भी नहलाये, उस पानी में नीम की पत्तियों को उबाले।
आयुर्वेद में चेचक में नीम से ज़्यादा किसी पर भी भरोसा नहीं किया जाता।
बच्चे को अन्य लोगों से दूर रखें।
चेचक के रामबाण घरेलु उपाय।
पीपल की 3 या 5 पत्तिया ले, पत्तियों की डंडी तोड़ दे, इन पत्तो को १ गिलास पानी में उबाले और एक चौथाई रहने पर इस को गुनगुना ही रोगी को पिलाये। ये प्रयोग 3 से 5 दिन तक हर रोज़ सुबह और शाम को करे। इस से चेचक, टाईफ़ाएड, और खसरा और आम बुखार में बेहद लाभ मिलता हैं।
पीपल की 3 या 5 पत्तिया ले, पत्तियों की डंडी तोड़ दे, इन पत्तो को १ गिलास पानी में उबाले और एक चौथाई रहने पर इस को गुनगुना ही रोगी को पिलाये। ये प्रयोग 3 से 5 दिन तक हर रोज़ सुबह और शाम को करे। इस से चेचक, टाईफ़ाएड, और खसरा और आम बुखार में बेहद लाभ मिलता हैं।
एक दूसरा घरेलु नुस्खा भी प्रयोग करे ।
तुलसी की 12-15 पत्तियों को 3 या 4 काली मिर्च के साथ पीसकर गुनगुने पानी के साथ दिन में 2 बार पिलाये।
तुलसी की 12-15 पत्तियों को 3 या 4 काली मिर्च के साथ पीसकर गुनगुने पानी के साथ दिन में 2 बार पिलाये।
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